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उस ने आते ही दिया बुझा दिया | शाही शायरी
usne aate hi diya bujha diya

ग़ज़ल

उस ने आते ही दिया बुझा दिया

हबीब कैफ़ी

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उस ने आते ही दिया बुझा दिया
हाल फिर सारा मुझे सुना दिया

मुख़्तसर से उस के इक तबस्सुम पर
जो कुछ भी था पास वो लुटा दिया

बे-सब्री से पढ़ गया एक एक लफ़्ज़
और फिर वो ख़त वहीं जला दिया

सर उठाया जिस ने बस्ती के लिए
उस के आगे हम ने सर झुका दिया

सारा दिन दरिया किनारे रेत पर
नाम लिखा मेरा और मिटा दिया

मुस्कुरा कर बात ही तो की उस ने
लोगों ने इस पर तूफ़ान उठा दिया

इस तरफ़ उस ने कभी देखा न था
और जब देखा तो बुत बना दिया

हम खरे सिक्के लिए बैठे रहे
उस ने नक़ली नोट तक चला दिया