उस की सोचें और उस की गुफ़्तुगू मेरी तरह
वो सुनहरा आदमी था हू-ब-हू मेरी तरह
एक बर्ग-ए-बे-शजर और इक सदा-ए-बाज़गश्त
दोनों आवारा फिरे हैं कू-ब-कू मेरी तरह
चाँद तारे इक दिया और रात का कोमल बदन
सुब्ह-दम बिखरे पड़े थे चार सू मेरी तरह
लुत्फ़ आवेगा बहुत ऐ साकिनान-ए-क़स्र-ए-नाज़
बे-दर-ओ-दीवार भी रहियो कभू मेरी तरह
देखना फिर लज़्ज़त-ए-कैफ़िय्यत-ए-तिश्ना-लबी
तोड़ दे पहले सभी जाम-ओ-सुबू मेरी तरह
इक पियादा सर करेगा सारा मैदान-ए-जदल
शर्त है जोश-ए-जुनूँ और जुस्तुजू मेरी तरह
ग़ज़ल
उस की सोचें और उस की गुफ़्तुगू मेरी तरह
अज़ीज़ नबील