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उस की चाह में नाम नहीं आने वाला | शाही शायरी
uski chah mein nam nahin aane wala

ग़ज़ल

उस की चाह में नाम नहीं आने वाला

अख्तर शुमार

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उस की चाह में नाम नहीं आने वाला
अब मेरा अंजाम नहीं आने वाला

हुस्न से काम पड़ा है आख़िरी साँसों में
और वो किसी के काम नहीं आने वाला

मेरी सदा पर वो नज़दीक तो आएगा
लेकिन ज़ेर-ए-दाम नहीं आने वाला

एक झलक से प्यास का रोग बढ़ेगा और
इस से मुझे आराम नहीं आने वाला

इश्क़ के नाम पे तेरा रंग न बदले यार
तुझ पर कुछ इल्ज़ाम नहीं आने वाला

काम को बैठे हैं और सर पर आई शाम
लगता है अब काम नहीं आने वाला

क्यूँ बे-कार उस शख़्स का रस्ता देखते हो
वो तो 'शुमार' इस शाम नहीं आने वाला