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उस के कूचे में गया मैं सो फिर आया न गया | शाही शायरी
uske kuche mein gaya main so phir aaya na gaya

ग़ज़ल

उस के कूचे में गया मैं सो फिर आया न गया

ग़मगीन देहलवी

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उस के कूचे में गया मैं सो फिर आया न गया
मैं वहाँ आप को ढूँडा तो मैं पाया न गया

गुम हुआ दिल मिरे पहलू से कि पाया न गया
शायद उस कूचे में जा उस से फिर आया न गया

दम-ब-ख़ुद हो के मुआ उस की नज़ाकत के सबब
आह-ओ-नाला भी मुझे उस को सुनाया न गया

उस ने इक रोज़ में सौ बार रुलाया मुझ को
मुझ से पर उस बुत-ए-ख़ुश-ख़ू को मनाया न गया

बाद इक उम्र के क्या तुझ से कहूँ ऐ 'ग़मगीं'
हाल-ए-दिल उस ने जो पूछा तो सुनाया न गया