उस के बाला है अब वो कान के बीच
जिस की खेती है झूक जान के बीच
दिल को इस की हवा ने आन के बीच
कर दिया बावला इक आन के बीच
आते उस को इधर सुना जिस दम
आ गई इम्बिसात जान के बीच
राह देखी बहुत 'नज़ीर' उस की
जब न आया वो इस मकान के बीच
पान भी पाँदाँ में बंद रहे
इत्र भी क़ैद इत्र-दान के बीच
ग़ज़ल
उस के बाला है अब वो कान के बीच
नज़ीर अकबराबादी