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उस का चेहरा भी सुनाता है कहानी उस की | शाही शायरी
us ka chehra bhi sunata hai kahani uski

ग़ज़ल

उस का चेहरा भी सुनाता है कहानी उस की

रेहाना क़मर

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उस का चेहरा भी सुनाता है कहानी उस की
चाहती हूँ कि सुनूँ उस से ज़बानी उस की

वो सितमगर है तो अब उस से शिकायत कैसी
और सितम करना भी आदत है पुरानी उस की

बेश-क़ीमत है ये मोती से मिरी पलकों पर
चंद आँसू हैं मिरे पास निशानी उस की

उस जफ़ा-कार को मालूम नहीं वो क्या है
बे-मुरव्वत को है तस्वीर दिखानी उस की

एक वो है नज़र-अंदाज़ करे है मुझ को
एक मैं हूँ कि दिल ओ जाँ से दिवानी उस की

तुम को उल्फ़त है 'क़मर' उस से तो अब कह देना
सामने सब के सुना देना कहानी उस की