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उस बुत को दिल दिखा के कलेजा दिखा दिया | शाही शायरी
us but ko dil dikha ke kaleja dikha diya

ग़ज़ल

उस बुत को दिल दिखा के कलेजा दिखा दिया

मुंशी खैराती लाल शगुफ़्ता

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उस बुत को दिल दिखा के कलेजा दिखा दिया
अस्बाब अपनी ज़ात का सारा दिखा दिया

हम ने तुम्हारी बात पे दिखला के आइना
मा'शूक़ ख़ूब-रू तुम्हें तुम सा दिखा दिया

मुश्ताक़-ए-दिल हुआ जो वो मय-नोश बज़्म में
मैं ने उठा के हाथ में शीशा दिखा दिया

हम ने भी उन को उन की तरह छेड़-छाड़ में
रोना दिखा दिया कभी हँसना दिखा दिया

ओ बहर-ए-हुस्न गिर्या-ए-बेहद के लुत्फ़ से
सौ बार मुझ को अश्क का दरिया दिखा दिया

हम ने 'शगुफ़्ता' उस बुत-ए-काफ़िर को प्यार में
अपना समझ के माल पराया दिखा दिया