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उन्हें क्यूँ फूल दुश्मन ईद में पहनाए जाते हैं | शाही शायरी
unhen kyun phul dushman id mein pahnae jate hain

ग़ज़ल

उन्हें क्यूँ फूल दुश्मन ईद में पहनाए जाते हैं

क़मर जलालवी

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उन्हें क्यूँ फूल दुश्मन ईद में पहनाए जाते हैं
वो शाख़-ए-गुल की सूरत नाज़ से बल खाए जाते हैं

अगर हम से ख़ुशी के दिन भी वो घबराए जाते हैं
तो क्या अब ईद मिलने को फ़रिश्ते आए जाते हैं

वो हँस कर कह रहे हैं मुझ से सुन कर ग़ैर के शिकवे
ये कब कब के फ़साने ईद में दोहराए जाते हैं

न छेड़ इतना उन्हें ऐ वादा-ए-शब की पशेमानी
कि अब तो ईद मिलने पर भी वो शरमाए जाते हैं

'क़मर' अफ़्शाँ चुनी है रुख़ पे उस ने इस सलीक़े से
सितारे आसमाँ से देखने को आए जाते हैं