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उन्हें देखते ही फ़िदा हो गए हम | शाही शायरी
unhen dekhte hi fida ho gae hum

ग़ज़ल

उन्हें देखते ही फ़िदा हो गए हम

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

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उन्हें देखते ही फ़िदा हो गए हम
मोहब्बत में यूँ मुब्तला हो गए हम

मिरे लब पे आई तमन्ना तो बोले
हटो छोड़ जाओ ख़फ़ा हो गए हम

ज़माने से छुप कर मिले थे किसी से
ज़माने ने देखा जुदा हो गए हम

कभी तू ने सोचा कभी तू ने समझा
तिरे हिज्र में क्या से क्या हो गए हम

रह-ए-इश्क़ में थक गए चलते चलते
तो राही से ख़ुद रहनुमा हो गए हम

तबस्सुम हँसी बे-रुख़ी बे-हिजाबी
तिरी हर अदा पर फ़िदा हो गए हम

'हज़ीं' कोई इतना बता दे ख़ुदा-रा
जवानी में क्यूँ पारसा हो गए हम