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उन से मायूस-ए-इल्तिफ़ात नहीं | शाही शायरी
un se mayus-e-iltifat nahin

ग़ज़ल

उन से मायूस-ए-इल्तिफ़ात नहीं

नसीर आरज़ू

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उन से मायूस-ए-इल्तिफ़ात नहीं
गो ब-ज़ाहिर तवक़्क़ुआत नहीं

इश्क़ ही वजह-ए-मुश्किलात नहीं
यूँ भी ग़म से कहीं नजात नहीं

इश्क़ की अज़्मतें बजा लेकिन
इश्क़ ही मक़्सद-ए-हयात नहीं

जिन को आसाइशें मयस्सर हैं
वो भी आसूदा-ए-हयात नहीं

इश्क़ है ताब-आज़्मा लेकिन
आप चाहें तो कोई बात नहीं

वो ख़फ़ा और इक जहाँ दुश्मन
अब कोई सूरत-ए-हयात नहीं

अज़्म-ए-तकमील-ए-'आरज़ू' करते
ज़िंदगी को मगर सबात नहीं