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उन को शरह-ए-ग़म सुनाई जाएगी | शाही शायरी
un ko sharh-e-gham sunai jaegi

ग़ज़ल

उन को शरह-ए-ग़म सुनाई जाएगी

शकील बदायुनी

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उन को शरह-ए-ग़म सुनाई जाएगी
आग पानी में लगाई जाएगी

खिंच के देखेंगे किसी से एक बार
यूँ भी क़िस्मत आज़माई जाएगी

तेरी नज़रों में है जो तासीर जज़्ब
अब मिरे नालों में पाई जाएगी

मेरी सुब्ह-ए-ज़िंदगी की इक झलक
डूबते तारों में पाई जाएगी

आप ही कहिए कि मौज-ए-इज़्तिराब
आप से क्यूँकर छुपाई जाएगी

राज़ रख राज़-ए-मोहब्बत ऐ 'शकील'
ये ग़ज़ल महफ़िल में गाई जाएगी