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उन के रुख़ पर निखार का आलम | शाही शायरी
un ke ruKH par nikhaar ka aalam

ग़ज़ल

उन के रुख़ पर निखार का आलम

नय्यर आस्मी

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उन के रुख़ पर निखार का आलम
गुलिस्ताँ पर बहार का आलम

मस्त आँखों में शबनमी आँसू
गौहर-ए-आबदार का आलम

उन के आने पे उन के जाने पर
दिल-ए-बे-इख़्तियार का आलम

रक़्स करते हैं कितने पैमाने
उस नज़र में ख़ुमार का आलम

वा-ए-हसरत कि तेरे होते भी
तेरे ही इंतिज़ार का आलम

रूठ जाना तिरा लगावट से
बे-रुख़ी में भी प्यार का आलम

बर्क़ उट्ठी बलाएँ लेने को
है क़फ़स पर बहार का आलम

अर्ज़-ए-मतलब पे मेरे ऐ 'नय्यर'
निगह-ए-शर्म-सार का आलम