उन के रुख़ पर निखार का आलम
गुलिस्ताँ पर बहार का आलम
मस्त आँखों में शबनमी आँसू
गौहर-ए-आबदार का आलम
उन के आने पे उन के जाने पर
दिल-ए-बे-इख़्तियार का आलम
रक़्स करते हैं कितने पैमाने
उस नज़र में ख़ुमार का आलम
वा-ए-हसरत कि तेरे होते भी
तेरे ही इंतिज़ार का आलम
रूठ जाना तिरा लगावट से
बे-रुख़ी में भी प्यार का आलम
बर्क़ उट्ठी बलाएँ लेने को
है क़फ़स पर बहार का आलम
अर्ज़-ए-मतलब पे मेरे ऐ 'नय्यर'
निगह-ए-शर्म-सार का आलम
ग़ज़ल
उन के रुख़ पर निखार का आलम
नय्यर आस्मी