उन के रुख़ पर जमाल है गोया
इश्क़ का सब कमाल है गोया
तेरे लाएक़ नहीं कोई तश्बीह
सादगी बे-मिसाल है गोया
बात सच थी उन्हें गराँ गुज़री
रास्त-गोई मुहाल है गोया
सब को दुत्कारा अब मिरी बारी
मुझ पे भी कुछ ख़याल है गोया
कुछ न समझे कि क्या है ये दुनिया
एक मकड़ी का जाल है गोया
गर्मी-ए-इश्क़ हिन्द से सूरज
सारी दुनिया पे लाल है गोया
जिस को सुन कर हैं महव-ए-हैरत सब
वो 'असर' ख़ुश-ख़याल है गोया

ग़ज़ल
उन के रुख़ पर जमाल है गोया
मर्ग़ूब असर फ़ातमी