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उन के रुख़ पर जमाल है गोया | शाही शायरी
un ke ruKH par jamal hai goya

ग़ज़ल

उन के रुख़ पर जमाल है गोया

मर्ग़ूब असर फ़ातमी

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उन के रुख़ पर जमाल है गोया
इश्क़ का सब कमाल है गोया

तेरे लाएक़ नहीं कोई तश्बीह
सादगी बे-मिसाल है गोया

बात सच थी उन्हें गराँ गुज़री
रास्त-गोई मुहाल है गोया

सब को दुत्कारा अब मिरी बारी
मुझ पे भी कुछ ख़याल है गोया

कुछ न समझे कि क्या है ये दुनिया
एक मकड़ी का जाल है गोया

गर्मी-ए-इश्क़ हिन्द से सूरज
सारी दुनिया पे लाल है गोया

जिस को सुन कर हैं महव-ए-हैरत सब
वो 'असर' ख़ुश-ख़याल है गोया