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उदासी के दलदल में गिरता हुआ दिल | शाही शायरी
udasi ke daldal mein girta hua dil

ग़ज़ल

उदासी के दलदल में गिरता हुआ दिल

शुमाइला बहज़ाद

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उदासी के दलदल में गिरता हुआ दिल
बचाऊँ मैं कैसे ये मरता हुआ दिल

मैं उस की मोहब्बत में लबरेज़ दरिया
वो मुझ में उतर के उभरता हुआ दिल

सितारे ख़ला से अभी तोड़ लाऊँ
मगर आसमाँ से ये डरता हुआ दिल

कभी तुम ने देखा है बोलो बताओ
किसी आईने में सँवरता हुआ दिल

अयाँ उस की आँखों की शफ़्फ़ाफ़ियत में
धुले पानियों सा निखरता हुआ दिल

अटकता सँभलता सँभल के ठहरता
कठिन रास्तों से गुज़रता हुआ दिल

जतन लाख कर लो न आएगा क़ाबू
है इक मौज-ए-सरकश बिफरता हुआ दिल