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उदास दिल है कि उन की नज़र नहीं होती | शाही शायरी
udas dil hai ki unki nazar nahin hoti

ग़ज़ल

उदास दिल है कि उन की नज़र नहीं होती

अमृत लाल इशरत

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उदास दिल है कि उन की नज़र नहीं होती
बग़ैर शम्स के ताब-ए-क़मर नहीं होती

कुछ ऐसे लोग भी दुनिया में हम ने देखे हैं
समा भी जाते हैं दिल में ख़बर नहीं होती

उठो तो दस्त-ब-साग़र चलो तो शीशा-ब-दोश
ये मय-कदा है यहाँ यूँ गुज़र नहीं होती

कभी कभी मुझे उन का ख़याल आता है
कभी कभी मुझे अपनी ख़बर नहीं होती

शब-ए-हयात है साग़र में डूब जा 'इशरत'
ये ऐसी रात है जिस की सहर नहीं होती