तू नहीं तो ज़िंदगी आज़ार है तेरे बग़ैर
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली पर बार है तेरे बग़ैर
ज़िंदगानी से किसे इंकार है तेरे बग़ैर
ज़िंदगानी है मगर बेकार है तेरे बग़ैर
आ कि पैहम अब ये हाल-ए-ज़ार है तेरे बग़ैर
हर-नफ़स इक तेज़-रौ तलवार है तेरे बग़ैर
नंग हो क्यूँ कर न मेरे वास्ते दुनिया मिरी
ज़िंदगी मेरी मुझे ख़ुद आर है तेरे बग़ैर
आ तुझे मेरी क़सम मुश्किल मिरी आसान कर
ज़ीस्त का हर मरहला दुश्वार है तेरे बग़ैर
पूछते हैं लोग मुझ से मेरी ख़ामोशी का हाल
बे-ज़बानी में मिरी गुफ़्तार है तेरे बग़ैर
लम्हा लम्हा है किसी का बे तिरे सूहान-ए-रूह
लम्हे लम्हे से कोई बेज़ार है तेरे बग़ैर
वास्ता तुझ को मसीहाई का तेरी जल्द आ
नज़्अ' के आलम में इक बीमार है तेरे बग़ैर
फ़स्ल-ए-गुल सब की नज़र में है मगर मेरे लिए
इक ख़िज़ाँ में आलम-ए-गुलज़ार है तेरे बग़ैर
ये बजा हर गुल है वज्ह-ए-ज़ीनत-ए-गुलशन मगर
मेरी दुनिया-ए-नज़र में ख़ार है तेरे बग़ैर
नूर से मा'मूर है हर गुल ब-सहन-ए-बोस्ताँ
क़तरा-ए-शबनम नज़र में तार है तेरे बग़ैर
ये बहाराँ ये शबाब सब्ज़ा-ए-नौ-रस न पूछ
बाग़ क्या है मादिन-ए-ज़ंगार है तेरे बग़ैर
इस फ़ज़ा-ए-अब्र में ग़ुस्ल-ए-हवाई की क़सम
मौजा-ए-बाद-ए-सबा आज़ार है तेरे बग़ैर
आ कि ये काली घटा अब तेरे गेसू की क़सम
इक बला सी बर-सर-ए-कोहसार है तेरे बग़ैर

ग़ज़ल
तू नहीं तो ज़िंदगी आज़ार है तेरे बग़ैर
मोहम्मद सिद्दीक़ साइब टोंकी