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तू नहीं है तो ज़िंदगी है उदास | शाही शायरी
tu nahin hai to zindagi hai udas

ग़ज़ल

तू नहीं है तो ज़िंदगी है उदास

सय्यद प्रवेज़

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तू नहीं है तो ज़िंदगी है उदास
हर तरफ़ है मुहीत ज़ुल्मत-ओ-यास

वो मुसाफ़िर क़रीब-ए-मंज़िल है
खो चुका है जो अपने होश-ओ-हवास

उतरे उतरे मलूल चेहरों पर
बिखरा बिखरा सा रंग-ए-आलम-ए-यास

छेड़ दो फिर कोई तराना-ए-ग़म
टूट जाए न ज़िंदगी की आस

मौत भी तो उसे नहीं आती
हो चुका है जो ज़िंदगी से उदास

ख़ामोशी का सबब कुछ और ही है
वर्ना दिल में न ख़ौफ़ है न हिरास

अब ये 'परवेज़' दिल का आलम है
कोई उम्मीद है न कोई आस