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तू कहाँ है मुझे ओ ख़्वाब दिखाने वाले | शाही शायरी
tu kahan hai mujhe o KHwab dikhane wale

ग़ज़ल

तू कहाँ है मुझे ओ ख़्वाब दिखाने वाले

तारिक़ राशीद दरवेश

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तू कहाँ है मुझे ओ ख़्वाब दिखाने वाले
आ कि दिखलाऊँ तुझे मैं तिरे वादों की किताब

याद हैं तुझ को वो महके हुए रंगीन ख़ुतूत
किस क़दर प्यार से लाती थीं निसाबों की किताब

अब कोई ख़्वाब में देखूँ कहाँ फ़ुर्सत है मुझे
मेरी बे-ख़्वाब निगाहों में है यादों की किताब

ये तो मुमकिन है बयाँ हिज्र की रूदाद करूँ
है किसे ताब सुने ग़म के हिसाबों की किताब

मैं ने आते हुए हर चीज़ समेटी थी मगर
भूल आया हूँ किसी ताक़ पे ख़्वाबों की किताब