तू अगर बा-उसूल हो जाए
रहमतों का नुज़ूल हो जाए
प्यार इतना करो कि पत्थर भी
ऐसे पिघले कि फूल हो जाए
उन से मिलने में डर ये लगता है
कोई हम से न भूल हो जाए
आइना आइना ही रहता है
चाहे जितनी भी धूल हो जाए
ग़म न हो ज़िंदगी अगर तुझ में
तेरा होना फ़ुज़ूल हो जाए
दिल से तौबा करे अगर 'साहिल'
तेरी तौबा क़ुबूल हो जाए
ग़ज़ल
तू अगर बा-उसूल हो जाए
मोहम्मद अली साहिल