तुम्हें जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है
कबूतर इश्क़ का उतरे तो कैसे
तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है
इरादा कर लिया गर ख़ुद-कुशी का
तो ख़ुद की आँख का पानी बहुत है
ज़हर सूली ने गाली गोलियों ने
हमारी ज़ात पहचानी बहुत है
तुम्हारे दिल की मन-मानी मिरी जाँ
हमारे दिल ने भी मानी बहुत है

ग़ज़ल
तुम्हें जीने में आसानी बहुत है
कुमार विश्वास