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तुम्हें हुस्न ने पुर-जफ़ा कर दिया | शाही शायरी
tumhein husn ne pur-jafa kar diya

ग़ज़ल

तुम्हें हुस्न ने पुर-जफ़ा कर दिया

शौक़ देहलवी मक्की

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तुम्हें हुस्न ने पुर-जफ़ा कर दिया
हमें इश्क़ ने बा-वफ़ा कर दिया

ये उन की निगाहों का एहसान है
मिरे दिल को दर्द-आश्ना कर दिया

बला से मिरी जान जाती रहे
मोहब्बत का हक़ तो अदा कर दिया

हुआ सारी महफ़िल पे उन का इताब
ये किस ने मिरा तज़्किरा कर दिया

चखा कर ज़रा सा मज़ा वस्ल का
मिरा 'शौक़' हद से सिवा कर दिया