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तुम्हारी याद का साया न होगा | शाही शायरी
tumhaari yaad ka saya na hoga

ग़ज़ल

तुम्हारी याद का साया न होगा

आसिम शहनवाज़ शिबली

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तुम्हारी याद का साया न होगा
कोई बहता हुआ दरिया न होगा

ये मंज़र भी नज़र आएगा इक दिन
बदन होगा कोई चेहरा न होगा

ज़माने होंगे मेरी दस्तरस में
तुम्हारे क़ुर्ब का लम्हा न होगा

समुंदर की तरह वो शांत लेकिन
लह्हू उस आँख से टपका न होगा

फ़क़त सन्नाटे में चीख़ा करेंगे
मकाँ होंगे कोई बस्ता न होगा