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तुम ने ये क्या सितम किया ज़ब्त से काम ले लिया | शाही शायरी
tumne ye kya sitam kiya zabt se kaam le liya

ग़ज़ल

तुम ने ये क्या सितम किया ज़ब्त से काम ले लिया

शकील बदायुनी

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तुम ने ये क्या सितम किया ज़ब्त से काम ले लिया
तर्क-ए-वफ़ा के बा'द भी मेरा सलाम ले लिया

रिंद-ए-ख़राब-नोश की बे-अदबी तो देखिए
निय्यत-ए-मय-कशी न की हाथ में जाम ले लिया

हाए वो पैकर-ए-हवस हाए वो ख़ुगर-ए-क़फ़स
बेच के जिस ने आशियाँ हल्क़ा-ए-दाम ले लिया

बादा-कशान-ए-इश्क़ को कुछ तो मिला पए-सुकूँ
हुस्न-ए-सहर न ले सके जलवा-ए-शाम ले लिया

नामा-ए-शौक़ पढ़ के वो खो गए यक-ब-यक 'शकील'
मुँह से तो कुछ न कह सके दिल से पयाम ले लिया