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तुम मेरे साथ भी जुदा भी हो | शाही शायरी
tum mere sath bhi juda bhi ho

ग़ज़ल

तुम मेरे साथ भी जुदा भी हो

मूसा रज़ा

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तुम मेरे साथ भी जुदा भी हो
तुम मिरा दर्द भी दवा भी हो

तुम सफ़ीना भी नाख़ुदा भी हो
तुम तलातुम भी आसरा भी हो

ढूँढता हूँ कहाँ कहाँ तुम को
राहज़न तुम हो रहनुमा भी हो

तुम ही हो मेरी गर्मी-ए-आग़ोश
मेरे पहलू का तुम ख़ला भी हो

दिल के रुकने की हो तुम ही आवाज़
दिल की धड़कन की तुम सदा भी हो

पी के सरशार भी हूँ प्यासा भी
तिश्नगी भी हो तुम नशा भी हो