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तुझे मैं भूल जाना चाहता हूँ | शाही शायरी
tujhe main bhul jaana chahta hun

ग़ज़ल

तुझे मैं भूल जाना चाहता हूँ

ग़यास अंजुम

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तुझे मैं भूल जाना चाहता हूँ
यूँ दिल को आज़माना चाहता हूँ

न छेड़ो आज दर्द-ओ-ग़म के क़िस्से
मैं खुल कर मुस्कुराना चाहता हूँ

मिरी तहवील में जो भी है यारो
तुम्हीं पे सब लुटाना चाहता हूँ

बहुत बोझल से लगते हैं मनाज़िर
मैं उन से दूर जाना चाहता हूँ

ख़याल-ओ-फ़िक्र का दम घुट रहा है
नई दुनिया बनाना चाहता हूँ

किसी की याद की ख़ुश्बू को 'अंजुम'
मैं रग रग में बसाना चाहता हूँ