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तुझे अपना बनाना चाहता हूँ | शाही शायरी
tujhe apna banana chahta hun

ग़ज़ल

तुझे अपना बनाना चाहता हूँ

अहसन इमाम अहसन

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तुझे अपना बनाना चाहता हूँ
मगर ख़ुद को भी पाना चाहता हूँ

तुम्हारी याद को दिल में बसा कर
मैं सब कुछ भूल जाना चाहता हूँ

ज़रा मेरी तरफ़ भी हो तवज्जोह
मैं हाल-ए-दिल सुनाना चाहता हूँ

जो हर इंसान को सरशार कर दे
मैं ऐसा गीत गाना चाहता हूँ

मैं ठुकरा कर जहाँ की सारी दौलत
फ़क़त अब तुझ को पाना चाहता हूँ

तुम्हें ख़ुशियाँ अता करने की ख़ातिर
मैं अपना ग़म छुपाना चाहता हूँ

मोहब्बत ज़िंदगी है अपनी 'अहसन'
यही सब को बताना चाहता हूँ