तुझ को पाने की ये हसरत मुझे ले डूबेगी
लग रहा है कि मोहब्बत मुझे ले डूबेगी
हालत-ए-इश्क़ में हूँ और ये हालत है कि अब
एक लम्हे की भी फ़ुर्सत मुझे ले डूबेगी
अब मैं समझा हूँ कि ये दर्द-ए-मोहब्बत क्या है
ये तिरे प्यार की शिद्दत मुझे ले डूबेगी
मेरी बेताबी-ए-दिल चैन न लेने देगी
तेरी ख़ामोश तबीअत मुझे ले डूबेगी
तेरी आँखों के समुंदर में ख़यालों की तरह
डूब जाने की ये आदत मुझे ले डूबेगी
डूबती नब्ज़ कहीं का नहीं छोड़ेगी मुझे
दर्द ले डूबेगा वहशत मुझे ले डूबेगी
तेरी आँखों का ये जादू कहीं ले जाएगा
ये तिरी सादा सी सूरत मुझे ले डूबेगी
तेरे अश्कों से कलेजा मिरा कट जाएगा
मेरी हस्सास तबीअत मुझे ले डूबेगी
हर क़दम पर मैं तिरा बोझ उठाऊँ कैसे
ज़िंदगी तेरी ज़रूरत मुझे ले डूबेगी
ग़ज़ल
तुझ को पाने की ये हसरत मुझे ले डूबेगी
जावेद सबा