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तुझ इश्क़ के मरीज़ की तदबीर शर्त है | शाही शायरी
tujh ishq ke mariz ki tadbir shart hai

ग़ज़ल

तुझ इश्क़ के मरीज़ की तदबीर शर्त है

मोहम्मद रफ़ी सौदा

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तुझ इश्क़ के मरीज़ की तदबीर शर्त है
लेकिन शिफ़ा को गर्दिश-ए-तक़दीर शर्त है

सौदाई दिल को ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर शर्त है
दीवाने के इलाज में ज़ंजीर शर्त है

नाले तो में बहुत किए उस बुत के सामने
पत्थर के नर्म करने को तासीर शर्त है

हो ख़ाक राह-ए-इश्क़ में ता-क़द्र हो तिरी
मिस के तिला बनाने को इक्सीर शर्त है

काफ़ी है इक इशारा-ए-अबरू तिरा हमें
कुछ आशिक़ों के क़त्ल को शमशीर शर्त है

दिल की शिकस्त-ओ-रेख़्त की मेरे तो ले ख़बर
हर घर की देर-पाई को तामीर शर्त है

करता है किस गुनह पे उक़ूबत हमें तू यार
ताज़ीर के तो वास्ते तक़्सीर शर्त है

'सौदा' मैं इस चमन में हूँ जूँ ग़ुंचा दिल-गिरफ़्त
मातम-सरा में सूरत-ए-दिल-गीर शर्त है