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तोहफ़ा-ए-शेर-ओ-सुख़न लाए हैं | शाही शायरी
tohfa-e-sher-o-suKHan lae hain

ग़ज़ल

तोहफ़ा-ए-शेर-ओ-सुख़न लाए हैं

जमील उस्मान

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तोहफ़ा-ए-शेर-ओ-सुख़न लाए हैं
हदिया-ए-तौबा-शिकन लाए हैं

आप की बज़्म में ए हम-सुख़नो
अपना सरमाया-ए-फ़न लाए हैं

शेर कुछ लाए हैं जिद्दत-आमेज़
कुछ ब-अंदाज़-ए-कुहन लाए हैं

रंग-ओ-आहंग के गुल-दस्ते में
फूल क्या सारा चमन लाए हैं

शेर की शक्ल में क़िर्तास पे हम
गौहर-ओ-लअ'ल-ए-यमन लाए हैं

दिल-फ़िगारी के सनम-ख़ाने में
दिल-नवाज़ी का चलन लाए हैं

लफ़्ज़ में निकहत-ए-गुल ढाल के हम
दश्त-ए-ग़ुर्बत में वतन लाए हैं

आज की तीरा-शबी में यारो
नूर की एक करन लाए हैं