तिरी ज़ुल्फ़ ज़ुन्नार का तार है
कि जिस तार में दिल गिरफ़्तार है
करिश्मे के लश्कर में वो शाह-ए-हुस्न
सफ़-ए-ख़ूब-रूयाँ का सरदार है
तलत्तुफ़ सीं पूछेगा कब दर्द-ए-दिल
सितम-गर है सरकश है अय्यार है
जिसे दिल-ख़राशी नहीं इश्क़ की
तरीक़-ए-मोहब्बत में बे-कार है
सजन लुत्फ़ कर नर्गिस-ए-बाग़ पर
तिरी चश्म-ए-मय-गूँ का बीमार है
शिफ़ा दे मुझे मरहम-ए-वस्ल सूँ
जिगर पर मिरे हिज्र का वार है
शब-ए-हिज्र में गुल-बदन के 'सिराज'
नज़र में मिरी शम्अ जिऊँ ख़ार है
ग़ज़ल
तिरी ज़ुल्फ़ ज़ुन्नार का तार है
सिराज औरंगाबादी