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तिरी यादों ने तन्हा कर दिया है | शाही शायरी
teri yaadon ne tanha kar diya hai

ग़ज़ल

तिरी यादों ने तन्हा कर दिया है

ज़मान कंजाही

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तिरी यादों ने तन्हा कर दिया है
मुझे अंदर से सहरा कर दिया है

ख़फ़ा हो कर शुआ-ए-महर ने भी
मिरे आँगन को सूना कर दिया है

सियाही किस की नज़रों में भरी है
दिलों को किस ने काला कर दिया है

ये किस ने आईनों पर गर्द फेंकी
हर इक मंज़र को धुँदला कर दिया है

किसी भी शाख़ पर पत्ता नहीं है
हवा ने सब को नंगा कर दिया है

'ज़मान' अब रौशनी का ज़िक्र कैसा
मुझे सूरज ने अंधा कर दिया है