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तिरे फ़िराक़ में दिल से निकाल कर दुनिया | शाही शायरी
tere firaq mein dil se nikal kar duniya

ग़ज़ल

तिरे फ़िराक़ में दिल से निकाल कर दुनिया

मोहसिन चंगेज़ी

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तिरे फ़िराक़ में दिल से निकाल कर दुनिया
चला हूँ सिक्के की मानिंद उछाल कर दुनिया

बढ़ा लिया तिरे दामान की तरफ़ इक हाथ
और एक हाथ में रक्खी सँभाल कर दुनिया

मैं अपने हुजरे में नान-ओ-नमक पे क़ाने था
वो चल दिया मिरी झोली में डाल कर दुनिया

हमारी खोज में फिरते हैं अन्फ़ुस ओ आफ़ाक़
हम ऐसे दरबदरों का ख़याल कर दुनिया