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तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच | शाही शायरी
tifli piri o naujawani hech

ग़ज़ल

तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच

हक़ीर

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तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच
तीन दिन की है ज़िंदगानी हेच

उम्र-ए-दो-रोज़ा पर घमंड इतना
मुनइमों की है लन-तरानी हेच

रात थोड़ी है आओ प्यार करें
सुब्ह को होगी ये कहानी हेच

चार दिन की बहार है सारी
ये तकब्बुर है यार-ए-जानी हेच

दिल के हाथों 'हक़ीर' झगड़ों में
मेरी गुज़री सदा जवानी हेच