तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच
तीन दिन की है ज़िंदगानी हेच
उम्र-ए-दो-रोज़ा पर घमंड इतना
मुनइमों की है लन-तरानी हेच
रात थोड़ी है आओ प्यार करें
सुब्ह को होगी ये कहानी हेच
चार दिन की बहार है सारी
ये तकब्बुर है यार-ए-जानी हेच
दिल के हाथों 'हक़ीर' झगड़ों में
मेरी गुज़री सदा जवानी हेच
ग़ज़ल
तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच
हक़ीर