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थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है | शाही शायरी
thoDi sardi zara sa nazla hai

ग़ज़ल

थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है

मोहम्मद अल्वी

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थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है
शायरी का मिज़ाज पतला है

सुनने वालों का कुछ क़ुसूर नहीं
नया शायर बेचारा हकला है

देखिए तो सभी बराबर है
सोचिए तो अजीब घपला है

प्यार करते भी हैं नहीं भी हैं
दिल इसी बात पर तो मचला है

अब यहाँ कोई भी नहीं आता
दोस्तों ने ठिकाना बदला है

आओ 'अल्वी' मज़े करा लाएँ
यार इस शहर में भी चकला है