EN اردو
थकन ग़ालिब है दम टूटे हुए हैं | शाही शायरी
thakan ghaalib hai dam TuTe hue hain

ग़ज़ल

थकन ग़ालिब है दम टूटे हुए हैं

ग़नी एजाज़

;

थकन ग़ालिब है दम टूटे हुए हैं
सफ़र जारी क़दम टूटे हुए हैं

ब-ज़ाहिर तो हैं सालिम जिस्म-ओ-जाँ से
मगर अंदर से हम टूटे हुए हैं

अधूरे हैं यहाँ सारे के सारे
सभी तो बेश-ओ-कम टूटे हुए हैं

बुरा हो ए'तिमाद-ए-बाहमी का
कि सब क़ौल-ओ-क़सम टूटे हुए हैं

तअल्लुक़ टूटने को है जहाँ से
चलो कि बंद-ए-ग़म टूटे हुए हैं

ख़ुदा का घर न बख़्शा ज़ालिमों ने
कई दैर-ओ-हरम टूटे हुए हैं

उन्हें मुंसिफ़ नहीं क़ातिल कहो तुम
कि सब उन के क़लम टूटे हुए हैं