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तेरी याद में रोते रोते तुझ जैसा हो जाएगा | शाही शायरी
teri yaad mein rote rote tujh jaisa ho jaega

ग़ज़ल

तेरी याद में रोते रोते तुझ जैसा हो जाएगा

सुलतान सुबहानी

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तेरी याद में रोते रोते तुझ जैसा हो जाएगा
हो सकता है अपना दिल भी कल पत्थर कहलाएगा

और नहीं तो तर्क-ए-वफ़ा पर ये भी तो हो सकता है
कुछ हम भी शर्मिंदा होंगे कुछ वो भी पछताएगा

तुझ को भुला कर जी सकते हैं लेकिन इतना याद रहे
तुझ सा जो भी मुखड़ा होगा आँखों में बस जाएगा

प्यार से नफ़रत करने वालो प्यार को तुम ने क्या जाना
ये भी हमेशा का ज़िद्दी है तुम को भी हो जाएगा

तेरा मेरा साथ रहेगा काँटे लोग बिछाएँगे
लेकिन अपनी राहगुज़र पर मौसम फूल खिलाएगा

सब का दर्द समेट के वो तासीर है मेरे लफ़्ज़ों में
जो भी मेरे शेर पड़ेगा वो मेरा हो जाएगा