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तेरी दुनिया की कज-अदाई से | शाही शायरी
teri duniya ki kaj-adai se

ग़ज़ल

तेरी दुनिया की कज-अदाई से

आबिद वदूद

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तेरी दुनिया की कज-अदाई से
लड़ रहा हूँ भरी ख़ुदाई से

हुस्न है आप अपनी आराइश
हुस्न घटता है ख़ुद-नुमाई से

हम ने क़दमों को दूर रक्खा है
हर बदी से हर इक बुराई से

दिल ही टूटा है कुछ नहीं बिगड़ा
आप की तर्ज़-ए-बेवफ़ाई से

बद-गुमानी का दौर है 'आबिद'
भाई है बद-गुमान भाई से