तेरी दुनिया की कज-अदाई से
लड़ रहा हूँ भरी ख़ुदाई से
हुस्न है आप अपनी आराइश
हुस्न घटता है ख़ुद-नुमाई से
हम ने क़दमों को दूर रक्खा है
हर बदी से हर इक बुराई से
दिल ही टूटा है कुछ नहीं बिगड़ा
आप की तर्ज़-ए-बेवफ़ाई से
बद-गुमानी का दौर है 'आबिद'
भाई है बद-गुमान भाई से
ग़ज़ल
तेरी दुनिया की कज-अदाई से
आबिद वदूद