तेरे मिलने से हम को ख़ुशी मिल गई
यूँ लगा इक नई ज़िंदगी मिल गई
आप के दम से है ज़िंदगी ज़िंदगी
आप क्या मिल गए ज़िंदगी मिल गई
हम तो तन्हा चले थे मगर राह में
मिल गए हम-सफ़र दोस्ती मल गई
लोग तारीकियों में भटकते रहे
दिल जला कर हमें रौशनी मिल गई
ज़र मिला है किसी को किसी को ज़मीं
तेरे दर की हमें बंदगी मिल गई
आप का प्यार जब से मिला है हमें
मिट गए सारे ग़म हर ख़ुशी मिल गई
और क्या चाहिए तेरे दर से हमें
दिल को छूती हुई शाइरी मिल गई
ग़ज़ल
तेरे मिलने से हम को ख़ुशी मिल गई
श्याम सुन्दर नंदा नूर