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तेरे लिए मैं बाज़ी लगाऊंगी जान की | शाही शायरी
tere liye main bazi lagaungi jaan ki

ग़ज़ल

तेरे लिए मैं बाज़ी लगाऊंगी जान की

सय्यदा अरशिया हक़

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तेरे लिए मैं बाज़ी लगाऊंगी जान की
ये इंतिहा है तिरे भरम के गुमान की

मुझ पे लगा के बंदिशें दुनिया-जहान की
ख़ुद सैर कर रहे हो मियाँ आसमान की

धंदा किए हैं आप ही बारूद का मियाँ
और बात कर रहे हैं जी अम्न-ओ-अमान की

बद-ख़ू-ओ-बद-ज़बान कहो बे-अदब कहो
तारीफ़ में ऐ दोस्तो हर 'हक़'-बयान की