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तेरे ख़्वाबों में मोहब्बत की दुहाई दूँगा | शाही शायरी
tere KHwabon mein mohabbat ki duhai dunga

ग़ज़ल

तेरे ख़्वाबों में मोहब्बत की दुहाई दूँगा

क़मर जलालाबादी

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तेरे ख़्वाबों में मोहब्बत की दुहाई दूँगा
जब कोई और न होगा तो दिखाई दूँगा

मेरी दुनिया में फ़क़त एक ख़ुदा काफ़ी है
दोस्तो कितने ख़ुदाओं को ख़ुदाई दूँगा

दिल को मैं क़ैद-ए-क़फ़स से तो बचा ले आया
कब उसे क़ैद-ए-नशेमन से रिहाई दूँगा

कोई इंसाँ नज़र आए तो बुलाओ उस को
उसे इस दौर में जीने पे बधाई दूँगा

देख लूँ अपने गरेबाँ ही में मुँह डाल के मैं
अपने हालात की किस किस की बुराई दूँगा

तुम अगर छोड़ गए मुझ को तो यूँ तड़पूँगा
सारी दुनिया को ग़म-ओ-दर्द-ए-जुदाई दूँगा

तेरी ही रूह का नग़्मा हूँ अगर मिट भी गया
मैं तुझे दूसरी दुनिया से सुनाई दूँगा