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तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे | शाही शायरी
tera kya jata jo milta jam-e-rehani mujhe

ग़ज़ल

तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे

धनपत राय थापर राज़

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तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे
मय के बदले साक़िया तू ने दिया पानी मुझे

मय-गुसारी में वो अब पहली सी कैफ़िय्यत नहीं
दे दिया साक़ी ने क्या बे-कैफ़ सा पानी मुझे

अब किसी मशरूब से दिल चैन पा सकता नहीं
काश वो आ कर पिला दे तेग़ का पानी मुझे

वो तप-ए-ग़म है कि सूखे हैं लब-ओ-काम-ओ-दहन
काश आ कर वो पिलाएँ दीद का पानी मुझे

पी रहा हूँ शौक़ से ऐ 'राज़' जिस को आज तक
एक दिन आख़िर डुबो देगा वही पानी मुझे