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तेरा दुख और आँखें भरने वाला मैं | शाही शायरी
tera dukh aur aanhken bharne wala main

ग़ज़ल

तेरा दुख और आँखें भरने वाला मैं

जावेद अकरम फ़ारूक़ी

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तेरा दुख और आँखें भरने वाला मैं
तेरी ख़ातिर सब कुछ करने वाला मैं

ख़ुश्बू बन कर जिस में पलने वाला तू
एक ज़रा पुरवाई, बिखरने वाला मैं

टेढ़ी-मेढ़ी राह बनाने वाला तू
कभी न थकने रोज़ गुज़रने वाला मैं

तन्हाई में छोड़ के जाने वाला तू
तन्हाई से कभी न डरने वाला में

सात समुंदर पार बुलाने वाला तू
सात समुंदर पार उतरने वाला मैं

लम्हा लम्हा रोज़ सँवरने वाला तू
लम्हा लम्हा लम्हा रोज़ बिखरने वाला मैं

मेरी शिकायत रोज़ कराने वाला तू
तेरी शिकायत रोज़ मुकरने वाला मैं