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तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले | शाही शायरी
taskin ko hum na roen jo zauq-e-nazar mile

ग़ज़ल

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

मिर्ज़ा ग़ालिब

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तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले
हूरान-ए-ख़ुल्द में तिरी सूरत मगर मिले

I would not cry for comfort if pleasured be these eyes
By semblance of your face amidst, virgins of paradise

अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यूँ तेरा घर मिले

In your street, do not inter me, when I cease to be
Why should people find your house when they look for me

साक़ी-गरी की शर्म करो आज वर्ना हम
हर शब पिया ही करते हैं मय जिस क़दर मिले

Tis proper as a host that you should serve me generously
Else I am used to drink each night however served to me

तुझ से तो कुछ कलाम नहीं लेकिन ऐ नदीम
मेरा सलाम कहियो अगर नामा-बर मिले

I grudge you not the messenger you chose to recommend
If ever he is found again say hello from me friend

तुम को भी हम दिखाएँ कि मजनूँ ने क्या किया
फ़ुर्सत कशाकश-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ से गर मिले

I could show to you as well, what was that majnuu.n did
If I get leave to do so from my sorrows that are hid

लाज़िम नहीं कि ख़िज़्र की हम पैरवी करें
जाना कि इक बुज़ुर्ग हमें हम-सफ़र मिले

To follow Khizr's directions is incumbent not on me
Just another elderly co-traveller he be

ऐ साकिनान-ए-कूचा-ए-दिलदार देखना
तुम को कहीं जो 'ग़ालिब'-ए-आशुफ़्ता-सर मिले

You should tend to him O dweller's of my lover's lane
If you ever run into distressed Gaalib again