EN اردو
तर्क-ए-वफ़ा गरचे सदाक़त नहीं | शाही शायरी
tark-e-wafa garche sadaqat nahin

ग़ज़ल

तर्क-ए-वफ़ा गरचे सदाक़त नहीं

क़ाएम चाँदपुरी

;

तर्क-ए-वफ़ा गरचे सदाक़त नहीं
पर ये सितम सहने की ताक़त नहीं

तर्क कर अपना भी कि इस राह में
हर कोई शायान-ए-रिफ़ाक़त नहीं

कोई दवा मुझ से की करता है लेक
अब के तबीबों में हज़ाक़त नहीं

कस्ब-ए-हुनर कर न कि इस वक़्त में
इस से बड़ी और हिमाक़त नहीं

नाम ही 'क़ाएम' का गया है निकल
वर्ना कुछ इतनी तो लियाक़त नहीं