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तन्हाइयों की गोद में पल कर बड़ा हुआ | शाही शायरी
tanhaiyon ki god mein pal kar baDa hua

ग़ज़ल

तन्हाइयों की गोद में पल कर बड़ा हुआ

नासिर राव

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तन्हाइयों की गोद में पल कर बड़ा हुआ
बचपन से अपने आप सँभल कर बड़ा हुआ

ग़ैरों को अपना मान के जीता रहा हूँ मैं
इस राह-ए-पुल-सिरात पे चल कर बड़ा हुआ

मैं ने कभी भी रात से शिकवा नहीं किया
हर शब किसी चराग़ सा जल कर बड़ा हुआ

पत्थर से कोई वास्ता मतलब न था मगर
हर आइने की आँख में खल कर बड़ा हुआ

मख़मल की चादरों का मुझे क्या पता कि मैं
काँटों के बिस्तरों को मसल कर बड़ा हुआ