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तन्हाई का रोग न पाल | शाही शायरी
tanhai ka rog na pal

ग़ज़ल

तन्हाई का रोग न पाल

एजाज़ तालिब

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तन्हाई का रोग न पाल
घर से बाहर पावँ निकाल

जिन में हो ज़हरीला-पन
ऐसी बातें हँस कर टाल

शहर में वहशी आए हैं
चल जंगल में डेरा डाल

अंदर से हैं बिखरे बिखरे
और बाहर से सब ख़ुश-हाल

आँखें सब की फ़िक्र-ज़दा
कैसे बीतेगा ये साल

'तालिब' प्यास बुझे कैसे
एक नदी और सौ घड़ियाल