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तन पर तेरी प्यास ओढ़ के गाती हूँ | शाही शायरी
tan par teri pyas oDh ke gati hun

ग़ज़ल

तन पर तेरी प्यास ओढ़ के गाती हूँ

सोहन राही

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तन पर तेरी प्यास ओढ़ के गाती हूँ
मैं तेरी मुस्कान लिए मुस्काती हूँ

मेरे नैनन तेरे चाँद सितारे हैं
तेरी सोच को नील गगन पहनाती हूँ

तेरे गीतों की मदमाती मदिरा को
दिन रैना पीती हूँ और पिलाती हूँ

तन दर्पन का पानी और दमक उट्ठे
जब मैं तेरे नैन से नैन मिलाती हूँ

तन्हाई जब नाम तिरा दोहराती है
मैं अपनी परछाईं से डर जाती हूँ

पीतम तेरी पायल क्या क्या शोर करे
फूलों में जब रूप मैं तेरा पाती हूँ

जीवन सुर देखा है तेरे बोलों से
'राही' तेरी चुप से मैं मर जाती हूँ