EN اردو
तमन्नाएँ जवाँ थीं इश्क़ फ़रमाने से पहले | शाही शायरी
tamannaen jawan thin ishq farmane se pahle

ग़ज़ल

तमन्नाएँ जवाँ थीं इश्क़ फ़रमाने से पहले

अक़ील नोमानी

;

तमन्नाएँ जवाँ थीं इश्क़ फ़रमाने से पहले
शगुफ़्ता थे ये सारे फूल कुम्हलाने से पहले

हिफ़ाज़त की कोई सूरत निकल आती है अक्सर
मैं तुम को ढूँड ही लेता हूँ खो जाने से पहले

भला वो लोग क्या जानें सफ़र की लज़्ज़तों को
जिन्हें मंज़िल मिली हो ठोकरें खाने से पहले

मिरी वहशत मिरे सहरा में उन को ढूँढती है
जो थे दो-चार चेहरे जाने पहचाने से पहले

जुनूँ की मंज़िलें आसाँ नहीं ये सोच लेना
कई गुलशन पड़ेंगे तुम को वीराने से पहले