EN اردو
तलवार बनो दर्द के मारे हुए लोगो | शाही शायरी
talwar bano dard ke mare hue logo

ग़ज़ल

तलवार बनो दर्द के मारे हुए लोगो

अनीस देहलवी

;

तलवार बनो दर्द के मारे हुए लोगो
यूँ हार के बैठो नहीं हारे हुए लोगो

हिम्मत हो तो ताबीरें भी करती हैं इनायत
आँखों में चलो ख़्वाब सँवारे हुए लोगो

तुम मिट्टी हो मिट्टी को हिक़ारत से न देखो
ऐ अर्श-ए-मुअल्ला से उतारे हुए लोगो

मुहताज उसी दर के हैं हाकिम कि ग़नी हों
जाओ न कहीं हाथ पसारे हुए लोगो

सहरा से चले आ भी गए दार-ओ-रसन तक
होना था जिन्हें वो न हमारे हुए लोगो

यारों ने 'अनीस' अपने निबाही नहीं यारी
मीठे थे जो दरिया वही खारे हुए लोगो