तलाश करती है तुझ को मिरी नज़र हर सू
जमाल-ए-रूह मिरे दिल की रौशनी है तू
ये किस की याद ये किस का ख़याल आया है
महक महक है तजल्ली किरन किरन ख़ुश्बू
सुलग सुलग के सर-ए-शाख़ बुझ गईं कलियाँ
मिरे बदन में था ख़्वाबीदा जिन का ज़ौक़-ए-नुमू
मिरी निगाह में जल्वे ये किस सहर के हैं
कि दाग़ दाग़ नए आफ़्ताब का है लहू

ग़ज़ल
तलाश करती है तुझ को मिरी नज़र हर सू
इरफ़ाना अज़ीज़