EN اردو
तलाश करती है तुझ को मिरी नज़र हर सू | शाही शायरी
talash karti hai tujhko meri nazar har su

ग़ज़ल

तलाश करती है तुझ को मिरी नज़र हर सू

इरफ़ाना अज़ीज़

;

तलाश करती है तुझ को मिरी नज़र हर सू
जमाल-ए-रूह मिरे दिल की रौशनी है तू

ये किस की याद ये किस का ख़याल आया है
महक महक है तजल्ली किरन किरन ख़ुश्बू

सुलग सुलग के सर-ए-शाख़ बुझ गईं कलियाँ
मिरे बदन में था ख़्वाबीदा जिन का ज़ौक़-ए-नुमू

मिरी निगाह में जल्वे ये किस सहर के हैं
कि दाग़ दाग़ नए आफ़्ताब का है लहू